Tax On Bikes In India: भारतीय सड़कों पर फिलहाल लगभग 33 करोड़ वाहन दौड़ रहे हैं। आप जानते हैं, जब भी कोई मोटरसाइकिल खरीदता है, तो गाड़ी की कीमत के साथ उसे टैक्स भी भरना होता है, जो सीधे सरकार की तिजोरी में जाता है। ये टैक्स गाड़ी के आकार और कीमत के हिसाब से तय होता है। तो चलिए, आज हम आपको एक अनोखी जुगाड़ बताते हैं, जिससे आप ये पता लगा सकते हैं कि अगर आप मोटरसाइकिल खरीदने जा रहे हैं तो उसके लिए आपको कितना टैक्स भरना पड़ेगा.
Tax On Bikes In India
टू-व्हीलर पर लगने वाले टैक्स को लेकर मामला गरमा रहा है. हाल ही में, बजाज ऑटो के एमडी राजीव बजाज ने सरकार से सीधी मांग की है कि टैक्स कम किया जाए। उनका कहना है कि एक तरफ तो गाड़ियों के प्रदूषण कम करने के सख्त मानक लाए जा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ ऑटो इंडस्ट्री पर 28% का भारी भरकम टैक्स लगाया जाता है। बता दें, आसियान देशों में ऑटो इंडस्ट्री पर लगने वाला टैक्स सिर्फ 8 से 14% के बीच है। मगर भारत में टैक्स सबसे ज्यादा है! राजीव बजाज ने सरकार से मांग की है कि गाड़ियों पर लगने वाले टैक्स को 28% से घटाकर 12 या 18% किया जाए।
राजीव बजाज ने बाइक को अब आम आदमी की ‘रोज़ की जरूरत’ बताते हुए कहा कि सरकार उत्सर्जन मानक तो बढ़ाए, मोटरसाइकिलों पर टैक्स का बोझ कम करे. उनका कहना है कि अगर टैक्स 12 से 18 फीसदी के बीच आ जाए तो ऑटो इंडस्ट्री के लिए भी ‘सहूलियत की सवारी’ बन जाएगी। उन्होंने गाड़ियों की बढ़ती कीमतों के लिए ‘ज्यादा पाबंदियां और ऊंचा टैक्स’ को जिम्मेदार ठहराया। बजाज ऑटो के एमडी का कहना है कि टू-व्हीलर इंडस्ट्री अभी भी कोविड-19 से पहले वाली रफ्तार नहीं पकड़ पाई है।
Tax On Bikes In India – इतना देना होता है टैक्स
सरकार अब 350 सीसी से कम क्षमता वाली बाइक्स और स्कूटर्स पर सीधा 28% का “टैक्स” लगा रही है. ये समझ लीजिए, आप चाहे 100cc की गाड़ी लें या 300cc वाली, हर एक पर आपको 28% GST चुकाना होगा। मान लीजिए 100cc बाइक की कीमत 80,000₹ है तो इस “टैक्स” के चलते आपको ऊपर से 17,500₹ चुकाने होंगे। यानी असल में बाइक की कीमत 62,500₹ ही बनती है।
एक्स-शोरूम और ऑन-रोड कीमत: क्या अंतर है?
जब भी आप गाड़ी खरीदने का मन बनाते हैं, चाहे वो बाइक हो, कार हो , आपको उसकी दो अलग-अलग कीमतें बताई जाती हैं – एक तो “एक्स शोरूम प्राइस” और दूसरा on-road price। तो चलिए आज पर्दा उठाते हैं और जानते हैं आखिर इन दोनों दामों में क्या छुपा है.
दरअसल, एक्स शोरूम प्राइस वाली कीमत गाड़ी की बेस प्राइस है, जिसे bare minimum रेट भी कह सकते हैं। इस दाम में सिर्फ गाड़ी ही मिलेगी, बाकी बीमा, रजिस्ट्रेशन और फैंसी सामान का इंतजाम खुद ही करना होगा। वहीं, दूसरी तरफ on-road price में ये सारी चीजें शामिल होती हैं, जिससे आप सीधे गाड़ी को सड़क पर उतार सकते हैं।
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